• आत्मबोध: अज्ञान से कृतकृत्य तक
    2025/08/15

    महर्षि मुक्त सूत्र पॉडकास्ट शो के इस आठवें एपिसोड में हम महर्षि मुक्त के श्रीमद्भागवत रहस्य के उन गूढ़ विचारों की चर्चा करेंगे जो आत्म-ज्ञान और अज्ञान के मूल अंतर को उजागर करते हैं। गीता के सशक्त श्लोकों के माध्यम से महर्षि मुक्त बताते हैं कि “कर्म का कर्ता और भोक्ता” होने का भाव अज्ञान का परिणाम है। जैसे कमल का पत्ता जल में रहकर भी उससे अछूता रहता है, वैसे ही ज्ञानी व्यक्ति संसार में रहते हुए भी कर्म के बंधन से मुक्त रहता है।

    यह प्रवचन प्रारब्ध कर्मों के नाश और ज्ञानाग्नि से सभी कर्मों के भस्म होने के बीच के विरोधाभास को सुलझाता है। महर्षि स्पष्ट करते हैं कि सच्चे आत्म-बोध के क्षण में संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण – तीनों ही प्रकार के कर्म नष्ट हो जाते हैं।

    ग्रंथ देह, जीव और ब्रह्म के अध्यास को क्रमशः तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण से जोड़ते हुए यह बताता है कि “मैं ब्रह्म हूँ” केवल एक भावना नहीं, बल्कि पूर्ण अनुभव और बोध का विषय है।

    अंततः, यह एपिसोड माया के उन सूक्ष्म विघ्नों को भी रेखांकित करता है जो आत्म-बोध की राह में बाधा बनते हैं, और यह संदेश देता है कि सच्ची कृतकृत्यता तभी आती है जब सभी भावनाएं निवृत्त होकर आत्मा अपनी पूर्णता को पहचान लेती है।

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    6 分
  • श्रीमद्भागवत रहस्य: कर्म, अज्ञान और विमल ज्ञान
    2025/08/12

    इस एपिसोड में हम श्रीमद्भागवत रहस्य (महर्षि मुक्त के प्रवचनों) के गहन विचारों की यात्रा पर निकलेंगे। चर्चा का केंद्र है जीवन के तीन प्रमुख कर्म प्रकारसंचित, प्रारब्ध और क्रियमाण — और उनसे जुड़ी बंधन-मुक्ति की प्रक्रिया।
    हम समझेंगे कि विमल ज्ञान कैसे अज्ञान के अंधकार को दूर कर, आत्म-साक्षात्कार के द्वार खोलता है। राजा प्राचीनबर्हि और भगवान नारद के संवाद से प्रेरणा लेते हुए, यह एपिसोड आपको अहंकार और वासनाओं से मुक्ति के महत्व से परिचित कराएगा।
    साथ ही, हम धर्म और अधर्म की सार्वभौमिक परिभाषा, अज्ञानी हृदय की सीमाएं, और आध्यात्मिक स्वतंत्रता पाने के व्यावहारिक उपायों पर भी प्रकाश डालेंगे।

    यह केवल शास्त्रीय चर्चा नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कालातीत दिशा है — जो आपके विचार, कर्म और दृष्टिकोण को बदल सकती है।


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    7 分
  • मैं कौन हूँ ?
    2025/08/10

    इस एपिसोड में हम महर्षि मुक्त द्वारा रचित "भगवत रहस्य" के प्रेरणादायक अंशों के माध्यम से आत्मा के शाश्वत और अपरिवर्तनीय स्वरूप की गहन पड़ताल करेंगे।

    आप जानेंगे —

    • ‘मैं’ का वास्तविक अर्थ और यह क्यों शरीर, मन या किसी भौतिक पहचान तक सीमित नहीं है।

    • कैसे आत्मा सभी अनुभवों की साक्षी होते हुए भी उनसे अछूती रहती है।

    • आत्मा का स्वभाव — जन्म और मृत्यु से परे, कारण और कार्य के बंधन से मुक्त

    • चेतना की तीन अवस्थाओं (जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति) में आत्मा की अखंड उपस्थिति।

    • आत्म-साक्षात्कार का महत्व और उत्तम पुरुष (परमात्मा) के रूप में स्वयं को पहचानने की साधना।

    यह कड़ी आपको भीतर की यात्रा पर ले जाएगी — स्वयं के असली स्वरूप को पहचानने और परमात्मा से एकत्व का अनुभव करने की ओर।

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    6 分
  • आत्मा, शरीर और अज्ञान का पर्दा
    2025/08/08

    इस कड़ी में हम चर्चा करेंगे "श्रीमद्भागवत रहस्य: ज्ञान और मुक्ति का मार्ग" के उन गूढ़ और प्रेरणादायक विचारों की, जो हमें हमारे वास्तविक स्वरूप की पहचान कराते हैं।

    महर्षि मुक्त द्वारा रचित और महर्षि मुक्तानुभूति साहित्य प्रचार समिति द्वारा प्रकाशित यह ग्रंथ सिखाता है कि हम केवल शरीर नहीं हैं — हमारी असली पहचान नित्य, शुद्ध और अविनाशी आत्मा है।

    एपिसोड में हम जानेंगे:

    • शारीरिक पहचान से परे आत्म-ज्ञान का महत्व

    • क्यों ईश्वर-प्राप्ति भाग्य का खेल नहीं, बल्कि व्यक्तिगत संकल्प और सद्गुरु की कृपा का परिणाम है

    • अज्ञानता के अंधकार को मिटाने के उपाय

    • परम ज्ञान की ओर बढ़ने का व्यावहारिक मार्ग

    • आध्यात्मिक साधना में आंतरिक बदलाव और अनुभव

    यह एपिसोड न केवल शास्त्रीय ज्ञान का संकलन है, बल्कि आधुनिक साधकों के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शक भी है — जो आत्म-ज्ञान और मुक्ति की ओर अग्रसर होना चाहते हैं।

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    8 分
  • श्रीमद्भागवत रहस्य: ज्ञान और आत्म-तत्त्व"
    2025/08/05

    इस कड़ी में हम महर्षि मुक्त की पुस्तक "श्रीमद्भागवत रहस्य " के माध्यम से ज्ञान और आत्म-तत्त्व, आत्मा के स्वरूप और आत्मबोध की अनिवार्यता पर विमर्श करेंगे। विशेष रूप से चर्चा होगी चतुःश्लोकी भागवत पर—जो नारायण द्वारा ब्रह्मा को प्रदान किया गया वह दिव्य उपदेश है, जिसे बाद में महर्षि व्यास ने संपूर्ण श्रीमद्भागवत पुराण का रूप दिया।

    राजर्षि खट्वांग और राजा परीक्षित जैसे उदाहरणों के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि आत्मज्ञान किसी विशेष काल की प्रतीक्षा नहीं करता—यह तत्काल भी संभव है। साथ ही, वेदांत के छह अंग और चार अनुबंध आत्मतत्त्व की गहराई को समझने के लिए किस प्रकार सहायक हैं, इस पर भी विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा।

    प्रमुख विषय (Key Points):

    • आत्मा का स्वरूप और पहचान

    • चतुःश्लोकी भागवत की व्याख्या

    • ब्रह्मा और नारायण संवाद

    • व्यास द्वारा श्रीमद्भागवत की रचना

    • राजर्षि खट्वांग व परीक्षित के प्रसंग

    • वेदांत के छह लक्षण और चार अनुबंध

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    9 分
  • श्रीमद्भागवत रहस्य: नारायण तत्व
    2025/08/03

    इस आध्यात्मिक पॉडकास्ट श्रृंखला में हम आपको लिए चलेंगे महर्षि मुक्त द्वारा रचित "श्रीमद्भागवत रहस्य: आत्मज्ञान का मार्ग" की गहराइयों में। 1969 में दिए गए प्रेरणास्पद प्रवचनों पर आधारित यह श्रृंखला भगवान के चार गूढ़ रहस्यों—स्वरूप, गुण, कर्म और भाव—का रहस्योद्घाटन करती है। आज हम प्रथम दिवस के प्रारंभिक सत्र के अमृतवर्षा के भावों का करेंगे ।

    नारद और प्राचीनबर्हि का संवाद, पुरंजन की उपाख्यानात्मक कथा, गजेंद्र की पुकार, तथा परीक्षित-शुक संवाद जैसे अद्भुत प्रसंगों के माध्यम से यह पॉडकास्ट जीव और ईश्वर की एकता, भक्ति, ज्ञान और कर्म के समन्वय, तथा आत्मज्ञान और मोक्ष के पथ को सहज एवं सरस भाषा में प्रस्तुत करता है।

    नारायणोपनिषद् के सिद्धांतों से आलोकित यह श्रवण यात्रा आपको आत्म-कल्याण की ओर प्रेरित करेगी, जिसमें श्रवण, मनन और निदिध्यासन की भूमिका को स्पष्ट किया गया है।
    👉 इस आध्यात्मिक अमृत का सतत रसपान करने के लिए हमारी आगामी कड़ियों की प्रतीक्षा करें और इस दिव्य यात्रा के साथ बने रहें।

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    7 分
  • श्रीमद्भागवत रहस्य: आत्मतत्व का विवेचन
    2025/08/02

    यह कड़ी "श्रीमद्भागवत रहस्य" महर्षि मुक्त द्वारा श्रीमद्भागवत परमहंस संहिता पर आधारित सात दिवसीय आध्यात्मिक निरूपण का भूमिका मात्र है, जो १९६९ में झंडापुर, प्रतापगढ़ (उ.प्र.) में आयोजित हुआ था। इस ग्रंथ के सातों दिनों के आध्यात्मिक निरूपण की चर्चा आने वाली कड़ियों में करेंगे यह ग्रंथ परम तत्व के परम सिद्धांत को स्पष्ट करता है, जिसमें परमात्मा की सर्वव्यापकता, आत्म-साक्षात्कार, और मोक्ष की अवधारणाएँ शामिल हैं। इसमें कर्म, अज्ञान, माया और वासना के बंधन से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं, जिसमें ज्ञान योग, भक्ति योग, और निर्विकल्प समाधि पर विशेष जोर दिया गया है। यह ग्रंथ जीव और ईश्वर की एकता का प्रतिपादन करते हुए, आत्मतत्व के अनुभव को सर्वोच्च लक्ष्य मानता है, जिसके लिए गुरु की कृपा और तीव्र आत्म जिज्ञासा को आवश्यक बताया गया है। इसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ, प्रह्लाद की भक्ति, गजेंद्र मोक्ष, और उद्धव-गोपी संवाद जैसे प्रसंगों के माध्यम से आध्यात्मिक शिक्षाएँ दी गई हैं।

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    6 分
  • महर्षि मुक्त सूत्र-सागर: आत्मबोध के सिद्धांत
    2025/08/02

    महर्षि मुक्त एक ऐसे आत्मज्ञानी थे जिनके लिए न कोई बाह्य पूजा, न कोई ग्रंथ, न कोई संप्रदाय महत्वपूर्ण था। वे स्वभाव, सहजता और ‘मैं’ की अखंड चेतना में स्थित थे। उनका व्यक्तित्व वैराग्य, अद्वैत, राष्ट्रप्रेम, आध्यात्मिक स्वराज्य और ब्रह्मबोध का अद्वितीय संगम है।प्रस्तुत कड़ी "महर्षि मुक्त सूत्र-सागर: प्रथम तरंग" नामक पुस्तक से उद्धृत हैं, जिसमें जीवन, ब्रह्म, माया, और आत्मज्ञान से संबंधित गहन दार्शनिक सूत्र दिए गए हैं। ये सूत्र स्वयं की पहचान और वास्तविक सत्य को समझने के महत्व पर बल देते हैं। ग्रंथ आध्यात्मिक मुक्ति और आनंद की प्राप्ति के मार्ग को उजागर करता है, विभिन्न अवधारणाओं जैसे 'स्वदेश' (स्वयं की स्थिति), 'मैं' (आत्म-बोध), और विकल्पों के अभाव को ईश्वरत्व के रूप में स्पष्ट करता है। यह पाठक को आंतरिक स्वतंत्रता और स्थायी शांति की ओर मार्गदर्शन करता है, जिसमें कर्म, ज्ञान और भक्ति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।महर्षि मुक्त सूत्र सागर में संकलित सूत्र, व्यापक व्याप्य अखंड अनन्ता-अनंत रूप शब्द-ब्रह्म महोदधि की हिलोरेंहैं। एक ही हिलोर-सूत्र का स्पर्श (हृदयंगम हो जाना) ब्रह्म स्पर्श संस्पर्शप्रदान करने की क्षमता रखता है ।

    यह प्रशंसा नहीं -अनुभवोद्गार है ।

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