
मैं कौन हूँ ?
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このコンテンツについて
इस एपिसोड में हम महर्षि मुक्त द्वारा रचित "भगवत रहस्य" के प्रेरणादायक अंशों के माध्यम से आत्मा के शाश्वत और अपरिवर्तनीय स्वरूप की गहन पड़ताल करेंगे।
आप जानेंगे —
‘मैं’ का वास्तविक अर्थ और यह क्यों शरीर, मन या किसी भौतिक पहचान तक सीमित नहीं है।
कैसे आत्मा सभी अनुभवों की साक्षी होते हुए भी उनसे अछूती रहती है।
आत्मा का स्वभाव — जन्म और मृत्यु से परे, कारण और कार्य के बंधन से मुक्त।
चेतना की तीन अवस्थाओं (जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति) में आत्मा की अखंड उपस्थिति।
आत्म-साक्षात्कार का महत्व और उत्तम पुरुष (परमात्मा) के रूप में स्वयं को पहचानने की साधना।
यह कड़ी आपको भीतर की यात्रा पर ले जाएगी — स्वयं के असली स्वरूप को पहचानने और परमात्मा से एकत्व का अनुभव करने की ओर।
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