
श्रीमद्भागवत रहस्य: आत्मतत्व का विवेचन
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このコンテンツについて
यह कड़ी "श्रीमद्भागवत रहस्य" महर्षि मुक्त द्वारा श्रीमद्भागवत परमहंस संहिता पर आधारित सात दिवसीय आध्यात्मिक निरूपण का भूमिका मात्र है, जो १९६९ में झंडापुर, प्रतापगढ़ (उ.प्र.) में आयोजित हुआ था। इस ग्रंथ के सातों दिनों के आध्यात्मिक निरूपण की चर्चा आने वाली कड़ियों में करेंगे यह ग्रंथ परम तत्व के परम सिद्धांत को स्पष्ट करता है, जिसमें परमात्मा की सर्वव्यापकता, आत्म-साक्षात्कार, और मोक्ष की अवधारणाएँ शामिल हैं। इसमें कर्म, अज्ञान, माया और वासना के बंधन से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं, जिसमें ज्ञान योग, भक्ति योग, और निर्विकल्प समाधि पर विशेष जोर दिया गया है। यह ग्रंथ जीव और ईश्वर की एकता का प्रतिपादन करते हुए, आत्मतत्व के अनुभव को सर्वोच्च लक्ष्य मानता है, जिसके लिए गुरु की कृपा और तीव्र आत्म जिज्ञासा को आवश्यक बताया गया है। इसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ, प्रह्लाद की भक्ति, गजेंद्र मोक्ष, और उद्धव-गोपी संवाद जैसे प्रसंगों के माध्यम से आध्यात्मिक शिक्षाएँ दी गई हैं।