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サマリー
あらすじ・解説
यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.8 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण सात्त्विक आहार के लक्षणों का वर्णन करते हुए कहते हैं:
"सात्त्विक आहार वे होते हैं जो आयु, सत्त्व, बल, आरोग्य, सुख और प्रेम को बढ़ाते हैं। ऐसे आहार रसीले, स्निग्ध (मुलायम), स्थिर (पाचन में हल्के) और हृदय को प्रसन्न करने वाले होते हैं। ये आहार सात्त्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप होते हैं।"
भगवान श्री कृष्ण इस श्लोक में सात्त्विक आहार के गुणों का विस्तार से वर्णन कर रहे हैं, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं। ये आहार व्यक्ति को शांति, संतुलन और सुख प्रदान करते हैं।
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