-
サマリー
あらすじ・解説
यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.7 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण कहते हैं:
"सभी प्राणियों का आहार तीन प्रकार का होता है, जो उनके स्वभाव और गुणों पर निर्भर करता है। इसी प्रकार यज्ञ, तपस्या और दान भी तीन प्रकार के होते हैं। अब तुम इनके भेद को सुनो।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह बता रहे हैं कि जैसे आहार, यज्ञ, तपस्या और दान के विभिन्न प्रकार होते हैं, वैसे ही ये व्यक्ति के गुणों के अनुसार भिन्न होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की आदतें, आस्थाएँ और आहार उसके मानसिक और आत्मिक गुणों से प्रभावित होती हैं। इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण इन विभिन्न रूपों का विवरण देने वाले हैं।
Here are some hashtags you can use for this shloka:
#BhagavadGita #Krishna #SattvicFood #RajasicFood #TamasicFood #Yajna #Tapa #Daan #SpiritualAwakening #GitaShloka #SelfRealization #InnerPeace #AncientWisdom #DivineWisdom #SpiritualGrowth #Philosophy