-
サマリー
あらすじ・解説
यह श्लोक श्री भगवद गीता के 17.5 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण कहते हैं:
"वे लोग जो शास्त्रों के अनुसार नहीं, बल्कि घोर और अनुचित तपस्या करते हैं, जो दंभ और अहंकार से जुड़े होते हैं, और जो काम, राग और बल के प्रभाव में तपस्या करते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं।"
भगवान श्री कृष्ण यहाँ उन व्यक्तियों के बारे में बता रहे हैं जो बिना सही मार्गदर्शन और शास्त्रों के नियमों के अनुसार तपस्या नहीं करते, बल्कि अहंकार, दंभ और वासनाओं से प्रेरित होकर कठिन तपस्या करते हैं। इस प्रकार की तपस्या सही नहीं मानी जाती और यह उनके लिए हानिकारक हो सकती है।
Here are some hashtags you can use for this shloka:
#BhagavadGita #Krishna #Faith #Tapa #SpiritualAwakening #DivineWisdom #SelfRealization #GitaShloka #Philosophy #Ahamkara #FalseTapa #SpiritualGrowth #AncientWisdom #RightPath #SelfAwareness