エピソード

  • निर्मलता के मायने है सारगर्भित होना
    2024/09/08
    • जो आंतरिक शुचिता या आंतरिक निर्मलता का भाव है वही शौच धर्म है।
    • संसार में हमारी जितनी पाने की आकांक्षा है वह हमें सिर्फ आश्वासन देती है, मिलता कुछ नहीं। जो हमने पाया है यदि हम उसमें संतोष रख लें तो संसार में फिर ऐसा कुछ नहीं है जो पाने को शेष रह जाए।
    • वर्तमान में ये प्रचलित हो गया है कि यदि हम संतोष धारण कर लेंगे तो हमारी प्रगति रुक जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर हमें जो प्राप्त है हम उसमें संतुष्ट होंगे और जो हमें प्राप्त नहीं है उसके लिए सद्प्रयास करेंगे तो हमारी प्रगति नहीं रुकेगी।


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    12 分
  • सरलता के मायने हैं - ईमानदारी - Simplicity Means Honesty
    2024/09/08

    • जीवन में उलझनों की मुख्य वजह हैं दिखावा और आडम्बर।


    • मन-वचन-काय की सरलता का नाम आर्जव धर्म है।


    • सरलता के मायने हैं- ईमानदारी, सरलता के मायने हैं - स्पष्टवादिता, सरलता के मायने हैं - उन्मुक्त हृदय होना, सरलता के मायने है - सादगी, सरलता के मायने है- भोलापन (Innocence), Warm-Hearted (संवेदनशील, सहृदय) और Straight Forward (निष्कपट/स्पष्ट)। विभिन्न अवसरों पर हम हमारे भीतर झाँककर देखें कि ये चीजें हमारे भीतर हैं।


    • छल-कपट, दिखावा-प्रदर्शन, कुटिलता, भ्रम और धन-संपदा ये सब माया के अर्थ कहे गए हैं जो हमारी सरलता एवं स्वभाव को नष्ट करने वाले और दुख के कारण कहे गए हैं।

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    10 分
  • अहंकार नहीं, विनय - Humility, not ego
    2024/09/08

    दूसरों के गुणों के सम्मान में अगर हम आल्हाद महसूस करते हैं तो मानियेगा हमारे भीतर मृदुता-कोमलता आने शुरू हो गए हैं।


    अपने को गुणवान और श्रेष्ठ बना लो तो सम्मान अपने आप हो गया ।


    परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम मार्दव धर्म पर दिए प्रवचन है।

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    11 分
  • क्रोध के कारण और उससे बचने के उपाय - Causes of Anger and Ways to Avoid It
    2024/09/08

    • अपने भीतर कहीं बाहर से धर्म लाने की प्रक्रिया नहीं करनी बल्कि हमारे भीतर जो विकृतियाँ हैं उनको हटाना है। जैसे-जैसे हम उनको हटाते जायेंगे धर्म आपो-आप हमारे भीतर प्रकट होता जायगा।


    • जो जितना सामर्थ्यवान होगा वह उतना क्षमावान भी होगा। जो जितना क्रोध करेगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।


    • क्रोध न आवे वास्तव में तो क्षमा ये ही है। क्रोध आ जाने के बाद कौन कितनी जल्दी उसे समाप्त कर देता है यह उसकी अपनी क्षमता है। जो जितना सामर्थ्यवान होगा वह उतना ही क्षमावान होता है।


    • क्रोध के कारण, और क्रोध आने पर हम क्या करें परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी अपनी सुमधुर वाणी से हमें समाधान दे रहें हैं ।



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    11 分