• Dashlakshan Parv - Munishri Kshamasagar Ji

  • 著者: Maitree Samooh
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Dashlakshan Parv - Munishri Kshamasagar Ji

著者: Maitree Samooh
  • サマリー

  • Munishri Kshamasagar Ji Maharaj emphasizes the importance of moving in the right direction after getting guidance.


    He encourages us to prepare internally to reduce kashay, along with external preparations for the Dashlakshan Parv (Festival), to make our lives better and avoid the negative impact of kashay.

    Copyright 2024 Maitree Samooh
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あらすじ・解説

Munishri Kshamasagar Ji Maharaj emphasizes the importance of moving in the right direction after getting guidance.


He encourages us to prepare internally to reduce kashay, along with external preparations for the Dashlakshan Parv (Festival), to make our lives better and avoid the negative impact of kashay.

Copyright 2024 Maitree Samooh
エピソード
  • निर्मलता के मायने है सारगर्भित होना
    2024/09/08
    • जो आंतरिक शुचिता या आंतरिक निर्मलता का भाव है वही शौच धर्म है।
    • संसार में हमारी जितनी पाने की आकांक्षा है वह हमें सिर्फ आश्वासन देती है, मिलता कुछ नहीं। जो हमने पाया है यदि हम उसमें संतोष रख लें तो संसार में फिर ऐसा कुछ नहीं है जो पाने को शेष रह जाए।
    • वर्तमान में ये प्रचलित हो गया है कि यदि हम संतोष धारण कर लेंगे तो हमारी प्रगति रुक जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर हमें जो प्राप्त है हम उसमें संतुष्ट होंगे और जो हमें प्राप्त नहीं है उसके लिए सद्प्रयास करेंगे तो हमारी प्रगति नहीं रुकेगी।


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    12 分
  • सरलता के मायने हैं - ईमानदारी - Simplicity Means Honesty
    2024/09/08

    • जीवन में उलझनों की मुख्य वजह हैं दिखावा और आडम्बर।


    • मन-वचन-काय की सरलता का नाम आर्जव धर्म है।


    • सरलता के मायने हैं- ईमानदारी, सरलता के मायने हैं - स्पष्टवादिता, सरलता के मायने हैं - उन्मुक्त हृदय होना, सरलता के मायने है - सादगी, सरलता के मायने है- भोलापन (Innocence), Warm-Hearted (संवेदनशील, सहृदय) और Straight Forward (निष्कपट/स्पष्ट)। विभिन्न अवसरों पर हम हमारे भीतर झाँककर देखें कि ये चीजें हमारे भीतर हैं।


    • छल-कपट, दिखावा-प्रदर्शन, कुटिलता, भ्रम और धन-संपदा ये सब माया के अर्थ कहे गए हैं जो हमारी सरलता एवं स्वभाव को नष्ट करने वाले और दुख के कारण कहे गए हैं।

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    10 分
  • अहंकार नहीं, विनय - Humility, not ego
    2024/09/08

    दूसरों के गुणों के सम्मान में अगर हम आल्हाद महसूस करते हैं तो मानियेगा हमारे भीतर मृदुता-कोमलता आने शुरू हो गए हैं।


    अपने को गुणवान और श्रेष्ठ बना लो तो सम्मान अपने आप हो गया ।


    परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम मार्दव धर्म पर दिए प्रवचन है।

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    11 分

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