エピソード

  • रोज़ाना (ब्रेक पर): सुनते रहिए
    2025/05/23

    रोज़ाना में अब वक्त है कुछ देर रुकने का. 50 एपिसोड तक के रास्ते में नए-पुराने दोस्तों का साथ मिला. आप सबका शुक्रिया. रोज़ाना है तो वापिस लौट कर आएगा ही. तब तक सुनिए और हो सके तो सुनवाइए और बताइए भी.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • रोज़ाना (Ep. 50): मीडिया और ज़िंदगी
    2025/05/22

    मीडिया से परेशान हो जाएंगे, इसका अंदाज़ा कुछ वक़्त पहले तक नहीं था. अब जब है तो परेशानी पर परेशान रहने से बेहतर है कि ख़ुद को जाल में फंसा महसूस करते रहने के बजाए, इस नए सच के साथ रिश्ते को नया रूप दिया जाए.

    続きを読む 一部表示
    4 分
  • रोज़ाना ( Ep. 49): जर्नलिज़्म और तकनीक
    2025/05/21

    तकनीक ने जर्नलिज़्म को बहुत फैलाव दिया है. डिजिटल दुनिया में इस रिश्ते को नई संभावनाएं तो मिली लेकिन साथ ही मिली रफ़्तार की चुनौती. जो हालात हमारे सामने हैं उन्हें देखते हुए ये समझना ज़रूरी है कि तेज़ भागने की लत लगाना पत्रकारिता के अंदरूनी ढांचों और उसकी ज़रूरतों के लिए कारगर है?

    続きを読む 一部表示
    3 分
  • रोज़ाना (Ep. 48): समाचारों की मरम्मत
    2025/05/19

    सवाल बहुत बड़ा और गंभीर है कि समाचारों की दुनिया की मरम्मत की जाए तो कैसे? चूंकि पत्रकारिता को चुनौती पूरी दुनिया में मिली है तो इसे ठीक करने का कोई एक हल तो नहीं सकता. कुछ तरीक़े ज़रूर हैं जिनमें उम्मीदें नज़र आती हैं.

    続きを読む 一部表示
    4 分
  • रोज़ाना (Ep. 47): ख़बरें बेहाल, ख़बरों से बेहाल
    2025/05/16

    समाचारों की दुनिया से भरोसा उठने की बातें लगातार हो रही हैं लेकिन क्या ख़बरों के बिना अपन दुनिया की कल्पना कर सकते हैं हम? अभी तक तो ऐसा लगता नहीं. किसी ना किसी रूप में हम सूचनाओं और ख़बरों से जुड़े ही हैं तो फिर उस पर बात किए बिना आंख मूंद कर चलते चले जाना तो मुमिकन नहीं.

    続きを読む 一部表示
    4 分
  • रोज़ाना (Ep. 46): जर्नलिज़्म से शिकवा
    2025/05/15

    पत्रकारिता के हाल पर अगर आप दुखी होते हैं तो ये समझना चाहिए कि ऐसा क्यों है? ये नाज़ुक वक्त है और समाचारों की दुनिया के लिए बदलाव का अहम पड़ाव. इसे केवल मायूसी से पार नहीं किया जा सकेगा.

    続きを読む 一部表示
    4 分
  • रोज़ाना (Ep. 45): न्यूज़ मीडिया और हम
    2025/05/14

    समाचारों की दुनिया के साथ क्या हुआ है और उसके चलते हमारे साथ क्या हुआ है, इसे समझने की कोशिशें बहुत हो रही हैं लेकिन ठोस जवाब अब भी नहीं है. चुनौतियां दिख रही हैं लेकिन उनके पार जाने का कारगर रास्ता नहीं. मीडिया और हमारे रिश्ते को समझने की एक कोशिश.

    続きを読む 一部表示
    4 分
  • (Ep. 44): चम्मचों, कोई तुम सा नहीं!
    2025/05/13

    जब किचन और घर के कामों में लगने वाले लेबर यानी औरतों के श्रम को हाशिए पर धकेल दिया गया तो फिर रसोई के बरतनों की रोज़ की ज़िंदगी में क्या भूमिका है, इस पर बात करने की ज़रूरत क्यों महसूस होगी भला. आपने टेबल पर यूं ही पड़ी दिखने वाली चम्मचों के बारे में कभी सोचा ? मैंने सोचा है, ज़रा सुन कर देखिए.

    続きを読む 一部表示
    4 分