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(Ep. 44): चम्मचों, कोई तुम सा नहीं!

(Ep. 44): चम्मचों, कोई तुम सा नहीं!

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जब किचन और घर के कामों में लगने वाले लेबर यानी औरतों के श्रम को हाशिए पर धकेल दिया गया तो फिर रसोई के बरतनों की रोज़ की ज़िंदगी में क्या भूमिका है, इस पर बात करने की ज़रूरत क्यों महसूस होगी भला. आपने टेबल पर यूं ही पड़ी दिखने वाली चम्मचों के बारे में कभी सोचा ? मैंने सोचा है, ज़रा सुन कर देखिए.

(Ep. 44): चम्मचों, कोई तुम सा नहीं!に寄せられたリスナーの声

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