エピソード

  • उज्जैन की ऐतिहासिकता \\ Mahakal Corridor Ujjain
    2022/09/30

    उज्जयिनी की ऐतिहासिकता  \\ Mahakal Corridor Ujjain    #mahakalcorridor #mahakalujjain #ujjain #hinduism #TheHeartofIncredibleIndia

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    11 分
  • ज्ञानाग्नि - अज्ञान पर विजय कैसे प्राप्त करे ? || Fire of Knowledge [Hindi]
    2022/09/24

    ज्ञानाग्नि - अज्ञान पर विजय कैसे प्राप्त करे ? || Fire of Knowledge  क्यों बन रहे है बच्चे  बुद्धू ? आज कल हमारी ज्ञान की अग्नि समाप्त होती जा रही है |  जो हम ज्ञान प्राप्त कर रहे - उससे हम बस धन का सृजन  कर रहे है |  आज हम बच्चे में विद्या का अर्थ - धन कमाने के आलावा कुछ बचा नहीं है |    ज्ञानाग्नि में कर्मफल का कैसे नाश होता है ?  How Do the Results of Action Get Burnt By the Fire of Knowledge

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    9 分
  • मोक्ष कैसे प्राप्त करे ? || Moksha kese prapt kare ? [Hindi]
    2022/09/24

    मोक्ष कैसे प्राप्त करे ? इस वीडियो में पं. राजेश शर्मा मोक्ष प्राप्ति के नियमो के बारे में बताते है ? मोक्ष क्या है ? मोक्ष के बारे में शास्त्रों/उपनिषदों में क्या लिखा हुआ है ? मोक्ष के मार्ग ?  शास्त्रों और पुराणों के अनुसार जीव का जन्म और मरण के बंधन से छूट जाना ही मोक्ष है। भारतीय दर्शनों में कहा गया है कि जीव अज्ञान के कारण ही बार बार जन्म लेता और मरता है । इस जन्ममरण के बंधन से छूट जाने का ही नाम मोक्ष है । जब मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है, तब फिर उसे इस संसार में आकर जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती । मोक्ष के बारे में बताने वाले मुख्य हिन्दू दर्शन, बौद्ध दर्शन, जैन दर्शन, भारतीय दर्शन है।   मोक्ष में मुक्त आत्माओं का चित्रण शास्त्रकारों ने जीवन के चार उद्देश्यतलाए हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । इनमें से मोक्ष परम अभीष्ट अथवा 'परम पुरूषार्थ' कहा गया है । मोक्ष की प्राप्ति का उपाय आत्मतत्व या ब्रह्मतत्व का साक्षात् करना बतलाया गया है । न्यायदर्शन के अनुसार दुःख का आत्यंतिक नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । सांख्य के मत से तीनों प्रकार के तापों का समूल नाश ही मुक्ति या मोक्ष है । वेदान्त में पूर्ण आत्मज्ञान द्वारा मायासम्बन्ध से रहित होकर अपने शुद्ध ब्रह्मस्वरूप का बोध प्राप्त करना मोक्ष है । तात्पर्य यह है कि सब प्रकार के सुख दुःख और मोह आदि का छूट जाना ही मोक्ष है ।  -----------------------------------------------------------------------  Moksha (/ˈmoʊkʃə/; Sanskrit: मोक्ष, mokṣa), also called vimoksha, vimukti and mukti,[1] is a term in Hinduism, Buddhism, Jainism and Sikhism for various forms of emancipation, enlightenment, liberation, and release.[2] In its soteriological and eschatological senses, it refers to freedom from saṃsāra, the cycle of death and rebirth.[3] In its epistemological and psychological senses, moksha is freedom from ignorance: self-realization, self-actualization and self-knowledge.[4]  In Hindu traditions, moksha is a central concept[5] and the utmost aim to be attained through three paths during human life; these three paths are dharma (virtuous, proper, moral life), artha (material prosperity, income security, means of life), and kama (pleasure, sensuality, emotional fulfillment).[6] Together, these four concepts are called Puruṣārtha in Hinduism.[7]  In some schools of Indian religions, moksha is considered equivalent to and used interchangeably with other terms such as vimoksha, vimukti, kaivalya, apavarga, mukti, nihsreyasa and nirvana.[8] However, terms such as moksha and nirvana differ and mean different states between various schools of Hinduism, Buddhism and Jainism.[9] The term nirvana is more common in Buddhism,[10] while moksha is more prevalent in Hinduism.[11] #moksh #hinduism

    #hindudharm

    #hindi 

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    10 分
  • पुरुषोत्तम मास || अधिक मास मे दान, पुन्य को जानो
    2022/09/24

    अधिकमास को कुछ जगहों पर मलमास के नाम से भी जानते हैं। इसके अलावा इस महीने को पुरुषोत्तम के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मालिनमास होने के कारण कोई भी देवता इस माह में पूजा नहीं करवाना चाहता था। इस माह का देवता कोई भी नहीं बनना चाहता था। तब मलमास ने स्वयं भगवान विष्णु से निवेदन किया था। तब भगवान विष्णु ने मलमास को अपना नाम पुरुषोत्तम दिया था। तभी से इस माह को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जानते हैं।  जानिए क्यों दिया गया अधिकमास नाम-  सूर्य साल 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। दोनों सालों के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन साल में करीब एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है। इस अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया।     पंडित राजेश शर्मा उज्जैन  मप्र

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    14 分
  • तुलसी की महिमा | सनतान धर्म में तुलसी का धार्मिक महत्व | Importance of Tulsi in Hinduism
    2022/09/24
    ॐ  तुलसी की महिमा | Importance of Tulsi (Ocimum Sanctum) in Hinduism(in Hindi) : इस वीडियो में पं. राजेश शर्मा तुलसी की महिमा का वर्णन करते है |  तुलसी का क्या महत्व है ? तुलसी के बारे में उपनिषदों में क्या लिखा है ?  तुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और १ से ३ फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं।   सनतान धर्म में तुलसी का धार्मिक महत्व बहुत ही अधिक है। तुलसी के बारे में यह मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उससे ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। शास्त्रों में तुलसी के पौधे पूजनीय, पवित्र और देवी का दर्जा दिया गया है और तो और घर में तुलसी का पौधा घर में लगाना भी काफी हितकारी माना जाता है। साथ ही शास्त्रों में तुलसी के बारे में कई लाभ भी बताए हैं। इन लाभ के बारे में जानकर आप हर रोज तुलसी के दर्शन जरूर करेंगे। आइए जानते हैं उन लाभ के बारे में मिलता गंगास्नान का फलशास्त्रों के मुताबिक, जो तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल आपने सिर पर धारण करता है, उसे गंगास्नान और 10 गोदान का फल प्राप्त होता है।करने जा रहे हैं मंगल कार्य तो तुलसी चढ़ाने से पहले इन बातों को जान लेंपाप हो जाते हैं खत्मशास्त्रों में तुलसी को देवी का दर्जा दिया गया है। इसलिए जिसने कैसा भी पाप किया हो अगर उसके शव के ऊपर, पेट और मुंह पर तुलसी की सूखी लकड़ियां थोड़ी सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से ही अग्नि दें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है, उसके सभी पाप खत्म हो जाते हैं। यमदूत भी उसे ले नहीं जा सकते।तुलसी के पास भूलकर भी न रखें ये 5 चीजें, बढ़ जाती है आर्थिक परेशानीमोक्ष की होती है प्राप्तिगरुड़ पुराण के अनुसार, घर में तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।सर्दी में तुलसी के पत्तों को सूखने और गिरने से बचाने के लिए आजमाएं ये उपायदेवी-देवताओं की रहती है कृपाब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि मृत्यु के समय जो तुलसी पत्ते सहित जल का पान करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर सीधे विष्णुलोक में जाता है। घर में तुलसी का पौधा होने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती है।परिवार पर ...
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    8 分
  • पितृ पक्ष कथा 2022 --सती जरत्कारु \\नागवंश का इतिहास
    2022/09/24

    पितृ पक्ष कथा 2022 --सती जरत्कारु \\नागवंश  का   इतिहास    पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर उनकी पूजा-पाठ की जाती है. इन दिनों पूर्वजों ग्रहों की शांति के लिए दान-पुण्य और पूजा पाठ किए जाते हैं, ताकि हम पर पूर्वजों की कृपा बनी रहे. इन दिनों श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है और पितरगण वंश विस्तार का आशीर्वाद देते हैं.  श्राद्ध हिन्दू एवं अन्य भारतीय धर्मों में किया जाने वाला एक कर्म है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के निमित्त किया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि जिन पूर्वजों के कारण हम आज अस्तित्व में हैं, जिनसे गुण व कौशल, आदि हमें विरासत में मिलें हैं, उनका हम पर न चुकाये जा सकने वाला ऋण हैं। वे हमारे पूर्वज पूजनीय हैं।  माता और पिता दोनों का श्राद्ध उनके देहावसान के दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष (या पितृपक्ष में सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है। 'पितर' से आधय माता-पिता, नाना-नानी, दादी-दादी, और उनके पहले उत्पन्न सभी सम्बन्धी (मातृपक्ष और पितृपक्ष दोनों के)  पंडित राजेश  शर्मा   #hindu #pitru_paksha #pitrupaksha2022 #vedicastrology #nagvanshifamil

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    11 分
  • सही भोजन बेहतर जीवन \\ Right Food Ethics (Hindi)
    2022/09/24

    सही भोजन बेहतर जीवन \\ Right Food Ethics (Hindi)

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    9 分
  • रानी चुड़ाला की अनसुनी कहानी \\उज्जैन
    2022/09/05

    रानी चुड़ाला की अनसुनी कहानी \\उज्जैन

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