エピソード

  • भारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माण
    2025/07/13
    SK सोढा इकबाल SK, INDIANIभारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माणभारत के संविधान को समझना, उसके ऐतिहासिक जड़ों को समझे बिना अधूरा है। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों और विविध विषयों का परिचायक है।1.1 ऐतिहासिक पृष्ठभूमिभारतीय संविधान का जन्म एक दिन में नहीं हुआ था। इसकी नींव कई शताब्दियों के औपनिवेशिक शासन, संघर्ष और सुधारों में निहित है। ब्रिटिश शासन के दौरान पारित विभिन्न अधिनियमों ने धीरे-धीरे भारत में संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचे को आकार दिया।1.1.1 कंपनी शासन (1773-1858) के दौरान संवैधानिक विकासयह वह अवधि थी जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत पर शासन कर रही थी, और ब्रिटिश संसद ने कंपनी के मामलों को विनियमित करने के लिए कानून बनाना शुरू कर दिया था।* रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 (Regulating Act, 1773):* धारा का काम: यह ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियंत्रित और विनियमित करने का पहला कदम था। इसका उद्देश्य कंपनी के कुप्रशासन को समाप्त करना था।* विस्तार से:* इसमें बंगाल के गवर्नर को 'बंगाल का गवर्नर-जनरल' बना दिया और उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया। लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल बने।* इसमें बंबई (बॉम्बे) और मद्रास के गवर्नरों को बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीन कर दिया। इस प्रकार, इसमें भारत में केंद्रीकरण की नींव रखी।* इस अधिनियम ने 1774 में कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की स्थापना का प्रावधान किया, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश शामिल थे।* इसमें कंपनी के सेवकों को निजी व्यापार करने या भारतीयों से उपहार और रिश्वत लेने पर प्रतिबंध लगा दिया।* इसमें ब्रिटिश सरकार को कंपनी के राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों पर नियंत्रण मजबूत करने में मदद की।* पिट्स इंडिया एक्ट, 1784 (Pitt's India Act, 1784):* धारा का काम: यह रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने और कंपनी के प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए लाया गया था।* विस्तार से:* इसमें कंपनी के वाणिज्यिक और राजनीतिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया।* वाणिज्यिक मामलों के लिए निदेशक मंडल (Court of Directors) की अनुमति दी गई।* ...
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  • UPSC, मेरा नाम है (SK, सोदाबा इकबाल SK INDIAN), आज हम सीखेंगे 2010 - 2030, आप
    2025/06/28
    UPSC 40 थीम पूर्णUPSC, मेरा नाम है (SK, सोदाबा इकबाल SK INDIAN), आज हम सीखेंगे 2010 - 2030, आप सभी को अब से टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है पढ़ना है। आप यह पढ़ अच्छे से जानते हो कि यह सब सब्जेक्ट पुराने और नए तरीके से सिखाए जाते हैं। वह मैं बहुत अच्छे से जानता हूं और जैसा कि आप सभी को पता है यहां ऑनलाइन क्लासेस होती हैं जिसमें कुछ भी चार्ज नहीं होता है। हम जितने भी सब्जेक्ट में पढ़ते हैं वह सारे के सारे फ्री में होते हैं। पर मैं यह बोलता हूं कि इसका यह मतलब नहीं है कि सिर्फ सीखना नहीं होता है बल्कि सारे सब्जेक्ट में हमको विस्तार से पढ़ाते हैं। अगर आप सभी इसको ईमानदारी से देखेंगे तो आप खुद से सीखा हुआ कभी नहीं भूल पाएंगे तो सबसे पहले हम ओरिजिनल चीज पर आते हैं।मैं आपको एक 100% ओरिजिनल और प्रभावी तरीका बताता हूं, जिसे मैं "थीम-आधारित क्रॉस-लिंकिंग" (Theme-Based Cross-Linking) कहता हूं। यह तरीका आपको रटने के बजाय, हर सवाल के पीछे छिपे कॉन्सेप्ट को समझने और उन्हें आपस में जोड़ने में मदद करेगा।"थीम-आधारित क्रॉस-लिंकिंग" - 2026-2030 के लिए एक नया दृष्टिकोणइस तरीके में हम सवालों को विषय (Subject) के बजाय, थीम (Theme) के आधार पर पढ़ेंगे। यूपीएसी में कुछ ऐसे थीम हैं, जो हर साल बार-बार पूछे जाते हैं, लेकिन सवाल का अंदाज़ बदल जाता है।आइए, इन थीम्स को समझते हैं और हर थीम के लिए एक अलग पढ़ने का तरीका अपनाते हैं:थीम 1: "सरकार की नीतियों और उनका ज़मीनी असर" * पुराना तरीका: आप किसी सरकारी योजना (जैसे प्रधानमंत्री जन धन योजना) को पढ़ते हैं और उसके लक्ष्य और उद्देश्य याद कर लेते हैं। * नया और ओरिजिनल तरीका: * सवाल को चुनौती दें: प्रश्न को चुनौती पूछी गई है, उसे केवल सरकार की उपलब्धि के रूप में न देखें। * क्रॉस-लिंक करें: * GS Paper II (शासन): इस योजना को किस प्रशासनिक ढांचे के तहत लागू किया गया? इसमें क्या चुनौतियां आईं (जैसे भ्रष्टाचार या लाभार्थियों तक न पहुंचना)? * GS Paper III (अर्थव्यवस्था): इस योजना का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा? इससे वित्तीय समावेशन (financial inclusion) बढ़ा? इसका गरीबी उन्मूलन का क्या योगदान रहा? * GS Paper I (समाज): इस योजना ने समाज के किस वर्ग (जैसे महिलाएं, ग्रामीण लोग) को कैसे प्रभावित किया? क्या इसने लैंगिक असमानता (gender inequality) को कम किया? * भविष्योन्मुखी विश्लेषण: सोचो कि 2030 तक इस योजना को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता ...
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  • यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय (Optional Subject)
    2025/07/12
    SK सोढा इकबाल SK, INDIAN।आप यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय (Optional Subject) वाले पेपर के बारे में जानना चाहते हैं। मैं आपको इसे संक्षिप्त और विस्तृत दोनों रूपों में समझाने की कोशिश करता हूँ, जिससे आपको लगे कि पूरा विषय कवर हो गया है।यूपीएससी वैकल्पिक विषय (Optional Subject) पेपर: एक संक्षिप्त अवलोकनयूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में उम्मीदवारों को अपनी पसंद का एक वैकल्पिक विषय चुनना होता है। इस विषय के दो पेपर होते हैं, प्रत्येक 250 अंकों का, कुल 500 अंक। ये अंक अंतिम मेरिट सूची में जोड़े जाते हैं, जिससे वैकल्पिक विषय चयन परीक्षा में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।वैकल्पिक विषयों की सूची में साहित्य से लेकर विज्ञान, इंजीनियरिंग और सामाजिक विज्ञान तक विभिन्न प्रकार के लगभग 26-28 विषय शामिल होते हैं। उम्मीदवार अपनी रुचि, पृष्ठभूमि, अध्ययन सामग्री की उपलब्धता और विषय के पिछले प्रदर्शन के आधार पर विषय का चुनाव करते हैं।वैकल्पिक विषय का विस्तृत विवरण (Short Form of Discrete with Comprehensive Subject Matter)यूपीएससी के वैकल्पिक विषय को "विस्तार से शॉर्ट फॉर्म ऑफ़ डिस्क्रीट" में समझने के लिए, हम इसे निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित कर सकते हैं:1. विषय का चयन (Subject Selection) * विभिन्न विकल्प: यूपीएससी द्वारा अनुमोदित वैकल्पिक विषयों की एक लंबी सूची है, जिसमें शामिल हैं: * सामाजिक विज्ञान: इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र। * विज्ञान और इंजीनियरिंग: भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भूविज्ञान, कृषि, पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग। * साहित्य: हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, ओडिया, नेपाली, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संथाली, सिंधी, आदि। * चयन के मानदंड: उम्मीदवार आमतौर पर इन मानदंडों पर विचार करते हैं: * रुचि: विषय में वास्तविक रुचि होनी चाहिए ताकि अध्ययन उबाऊ न लगे। * शैक्षणिक पृष्ठभूमि: यदि आपने स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर विषय का अध्ययन किया है, तो आपको एक फायदा मिलता है। * अध्ययन सामग्री की उपलब्धता: बाजार ...
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  • यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय (Optional Subject
    2025/07/10
    SK सोढा इकबाल SK, INDIAN।आप यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय (Optional Subject) वाले पेपर के बारे में जानना चाहते हैं। मैं आपको इसे संक्षिप्त और विस्तृत दोनों रूपों में समझाने की कोशिश करता हूँ, जिससे आपको लगे कि पूरा विषय कवर हो गया है।यूपीएससी वैकल्पिक विषय (Optional Subject) पेपर: एक संक्षिप्त अवलोकनयूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में उम्मीदवारों को अपनी पसंद का एक वैकल्पिक विषय चुनना होता है। इस विषय के दो पेपर होते हैं, प्रत्येक 250 अंकों का, कुल 500 अंक। ये अंक अंतिम मेरिट सूची में जोड़े जाते हैं, जिससे वैकल्पिक विषय चयन परीक्षा में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।वैकल्पिक विषयों की सूची में साहित्य से लेकर विज्ञान, इंजीनियरिंग और सामाजिक विज्ञान तक विभिन्न प्रकार के लगभग 26-28 विषय शामिल होते हैं। उम्मीदवार अपनी रुचि, पृष्ठभूमि, अध्ययन सामग्री की उपलब्धता और विषय के पिछले प्रदर्शन के आधार पर विषय का चुनाव करते हैं।वैकल्पिक विषय का विस्तृत विवरण (Short Form of Discrete with Comprehensive Subject Matter)यूपीएससी के वैकल्पिक विषय को "विस्तार से शॉर्ट फॉर्म ऑफ़ डिस्क्रीट" में समझने के लिए, हम इसे निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित कर सकते हैं:1. विषय का चयन (Subject Selection) * विभिन्न विकल्प: यूपीएससी द्वारा अनुमोदित वैकल्पिक विषयों की एक लंबी सूची है, जिसमें शामिल हैं: * सामाजिक विज्ञान: इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र। * विज्ञान और इंजीनियरिंग: भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भूविज्ञान, कृषि, पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग। * साहित्य: हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, ओडिया, नेपाली, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संथाली, सिंधी, आदि। * चयन के मानदंड: उम्मीदवार आमतौर पर इन मानदंडों पर विचार करते हैं: * रुचि: विषय में वास्तविक रुचि होनी चाहिए ताकि अध्ययन उबाऊ न लगे। * शैक्षणिक पृष्ठभूमि: यदि आपने स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर विषय का अध्ययन किया है, तो आपको एक फायदा मिलता है। * अध्ययन सामग्री की उपलब्धता: बाजार ...
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  • (History, Civilization, Culture and Ancient Cities of Uttar Pradesh)
    2025/07/10
    SK सोढा इकबाल SK, INDIAN हूँ।थीम 1: उत्तर प्रदेश का इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और प्राचीन शहर (History, Civilization, Culture and Ancient Cities of Uttar Pradesh)स्टूडेंट, इस थीम में हम उत्तर प्रदेश के जायकेदार और कदीमी इतिहास को इंतेहाई गहराई से जानेंगे। यह जानना क्यों निहायत ज़रूरी है? क्योंकि उत्तर प्रदेश भारतीय तारीख़ का एक मरकज़ी और अहम् मुकाम रहा है। यहाँ से हमें न सिर्फ कदीमी तहज़ीबों जैसे कि सिंधु घाटी की तहज़ीब (जिसके कुछ निशान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिलते हैं) और वैदिक काल के पुख्ता सबूत मिलते हैं, बल्कि यह बौद्ध धर्म और जैन धर्म के फलने-फूलने का भी गवाह रहा है। इस ज़मीन पर ही भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जिससे यह बौद्ध तीर्थयात्रियों का एक अहम मरकज़ बन गया। हम यहाँ की क़दीमी नदियों जैसे गंगा, यमुना, सरयू के किनारे बसी सभ्यताओं की रिवायतों और उनके इंसानी बस्ती पर पड़ने वाले असरात की तफ़सीली चर्चा करेंगे।हम उत्तर प्रदेश की नायाब और मुख्तलिफ तहज़ीब का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जिसमें यहाँ की फन (कला), तामीरात (स्थापत्य/आर्किटेक्चर) जो कि मुग़ल और अवधी शैलियों का एक हसीन इम्तेज़ाज है, यहाँ का क्लासिकल और फोक संगीत, मुख्तलिफ नृत्य शैलियाँ जैसे कथक, यहाँ की लोक कलाएँ जैसे चित्रकारी (मसलन, मिर्ज़ापुर की लोक चित्रकलाएँ), और हिंदुस्तानी व अवधी अदब (साहित्य) शामिल हैं। यह समझना निहायत ज़रूरी है कि कैसे मुख्तलिफ कालों में, मसलन मौर्य, गुप्त, सल्तनत, मुग़ल, और ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, यहाँ की तहज़ीब ने अपने मुख्तलिफ रंग दिखाए और एक खास पहचान बनाई।हम उत्तर प्रदेश के कुछ क़दीमी और तारीख़ी शहरों पर भी खुसूसी तवज्जो देंगे, जैसे कि: * वाराणसी (काशी): यह दुनिया के सबसे पुराने लगातार आबाद शहरों में से एक है। इसका मजहबी, रूहानी, और तहज़ीबी अहमियत बहुत ज़्यादा है। यहाँ के घाट, मंदिर, और बनारसी सिल्क अपनी अलग पहचान रखते हैं। * प्रयागराज (इलाहाबाद): गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम (त्रिवेणी संगम) पर बसा यह शहर कुंभ मेले का मरकज़ है और इसका सियासी व मजहबी अहमियत भी बड़ी है। * मथुरा: भगवान कृष्ण की जन्मभूमि होने के नाते यह एक बड़ा मजहबी और तीर्थ स्थल है। यहाँ की ब्रज संस्कृति और होली का त्यौहार बहुत मशहूर है। * अयोध्या...
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  • UPSC GS Paper 4 -व्यापक तैयारी(2026-2030)
    2025/07/09
    UPSC GS Paper 4 - व्यापक तैयारी (2026-2030)(दृश्य: सौम्य पृष्ठभूमि संगीत बजता है। स्क्रीन पर "UPSC CIVIL SERVICES" लोगो दिखाई देता है, फिर मुख्य शीर्षक "UPSC GS Paper 4: Comprehensive Preparation 2026-2030" आता है, जिसके साथ इमेज में दिख रही किताबें, कम्पास और न्याय का तराजू जैसे विजुअल्स जुड़ते जाते हैं।)आवाज (उत्साही, स्पष्ट):नमस्कार, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा की अपनी तैयारी यात्रा में आपका स्वागत है!आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं, जो न केवल इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि एक जिम्मेदार और प्रभावशाली सिविल सेवक बनने के लिए भी अनिवार्य है। हम बात कर रहे हैं - UPSC सामान्य अध्ययन पेपर 4 की, जिसका विषय है - "नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि" (Ethics, Integrity, and Aptitude)।(दृश्य: किताबें खुली हुई दिखाई देती हैं, उन पर फोकस होता है।)यह सिर्फ एक और पेपर नहीं है; यह आपकी सोच, आपके निर्णय लेने की क्षमता और आपके नैतिक मूल्यों का परीक्षण है। सिविल सेवा में प्रवेश के बाद, आपको ऐसे निर्णय लेने होंगे जो लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे। ऐसे में, आपकी सत्यनिष्ठा, आपकी ईमानदारी और विषम परिस्थितियों में भी सही का चुनाव करने की आपकी क्षमता ही आपको एक सफल प्रशासक बनाएगी।(दृश्य: कम्पास पर धीरे-धीरे ज़ूम होता है, फिर न्याय के तराजू पर फोकस आता है।)हमारा यह विशेष कार्यक्रम, UPSC GS Paper 4: Comprehensive Preparation 2026-2030, आपको इसी यात्रा के लिए तैयार करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है। 2026 से लेकर 2030 तक की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, यह कोर्स आपको नीतिशास्त्र के सिद्धांतों, सिविल सेवा के लिए आवश्यक नैतिक मूल्यों और प्रशासकीय अभिरुचि की गहराई से समझ प्रदान करेगा।(दृश्य: पृष्ठभूमि में सरकारी इमारत (जो इमेज में है) उभर कर सामने आती है।)हमारा लक्ष्य केवल आपको सैद्धांतिक ज्ञान देना नहीं है, बल्कि आपको वास्तविक जीवन की स्थितियों में नैतिक दुविधाओं को समझने और उनका प्रभावी समाधान खोजने में सक्षम बनाना है। इस व्यापक तैयारी में शामिल होंगे: * नीतिशास्त्र और मानवीय अंतरापृष्ठ: मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार, और उसके निर्धारक व परिणाम। * अभिवृत्ति: इसका कार्य, विचार और आचरण के संबंध में इसका प्रभाव और सिविल सेवाओं के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता। * भावनात्मक बुद्धिमत्ता: ...
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  • (GS Paper 4)
    2025/07/07
    यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Exam) के सामान्य अध्ययन पेपर 4 (GS Paper 4) को नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि (Ethics, Integrity, and Aptitude) के नाम से जाना जाता है। यह पेपर उम्मीदवारों की नैतिक और मानसिक योग्यता का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो एक सिविल सेवक के लिए आवश्यक है।सामान्य अध्ययन पेपर 4: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि (GS Paper 4: Ethics, Integrity, and Aptitude)यह पेपर मुख्य रूप से सिविल सेवा के लिए उम्मीदवारों के नैतिक और नैतिक दृष्टिकोण को समझने पर केंद्रित है। इसमें केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि केस स्टडीज (Case Studies) के माध्यम से वास्तविक जीवन की स्थितियों में नैतिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग की क्षमता का भी परीक्षण किया जाता है।मुख्य विषय और उप-विषय: * नीतिशास्त्र और मानवीय सह-संबंध (Ethics and Human Interface): * नीतिशास्त्र का सार, निर्धारक और परिणाम। * मानवीय क्रियाओं में नीतिशास्त्र के आयाम। * नीतिशास्त्र के निजी और सार्वजनिक संबंधों में प्रासंगिकता। * मानव मूल्य - महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन और शिक्षाओं से सीख। * परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों में मूल्यों का विकास। * अभिवृत्ति (Attitude): * अभिवृत्ति: सामग्री, संरचना, कार्य। * विचार और व्यवहार के संबंध। * नैतिक और राजनीतिक अभिवृत्ति। * सामाजिक प्रभाव और अनुनय (Persuasion)। * अभिरुचि (Aptitude) और मूलभूत मूल्य: * सिविल सेवा के लिए अभिरुचि और
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  • यूपीएससी सीएसई सामान्य अध्ययन पेपर 3: मुख्य विषय SK सोढा इकबाल SK, INDIAN
    2025/07/05
    यूपीएससी सीएसई सामान्य अध्ययन पेपर 3: मुख्य विषयSK सोढा इकबाल SK, INDIANयह पेपर भारतीय अर्थव्यवस्था, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर केंद्रित है।1. भारतीय अर्थव्यवस्थाविकास-रोज़गार: आर्थिक नियोजन, संसाधन, रोज़गार सृजन। समावेशी विकास: गरीबी, असमानता, सरकारी योजनाएँ। कृषि: फसल, सिंचाई, भंडारण, MSP, PDS, खाद्य प्रसंस्करण। बुनियादी ढाँचा: ऊर्जा, परिवहन, संचार। निवेश मॉडल: FDI, PPP।2. विज्ञान और प्रौद्योगिकीदैनिक उपयोग: IT, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो, बायो-टेक्नोलॉजी। भारतीय योगदान: अंतरिक्ष, रक्षा प्रौद्योगिकी। बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): पेटेंट, कॉपीराइट।3. पर्यावरण और जैव विविधतासंरक्षण-प्रदूषण: उपाय, प्रकार, EIA। जैव विविधता: संरक्षण, कानून। जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन, अंतर्राष्ट्रीय समझौते।4. आंतरिक सुरक्षाखतरे: उग्रवाद, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा। अपराध: संगठित अपराध, साइबर सुरक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग। सुरक्षा बल: एजेंसियाँ, जनादेश।5. आपदा प्रबंधनआपदाएँ: प्रकार, कारण, प्रभाव। तैयारी-शमन: रणनीतियाँ। सरकारी ढाँचा: NDMA, प्रतिक्रिया।मुझे उम्मीद है कि इस बार यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप चाहते थे।
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