エピソード

  • बसंत ऋतु
    2021/12/15
    शेखर के पिता नवीनचंद्र बाबू जहाँ शेखर को हायर स्टडीज़ को लेकर नसीहत देते हैं वहीं शेखर की माँ भुवनेश्वरी देवी शेखर को अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखने की हिदायत देती हैं। इन सबके बाद शेखर को लंच पे ललिता की याद आती है जब माँ भुवनेश्वरी ललिता के हाथों बनी खीर चखने को कहती हैं। शेखर भागकर टेरेस पे जाता है जहाँ ललिता एक कोने में अपने माँ बाबा के असमय देहांत को याद करके रोए जा रही है। शेखर प्यार से उसे सान्तवना देते हुए विक्टोरिया के गोलगप्पे की ट्रीट देने का वादा करता है। ललिता अपनी ममेरी बहन अन्नाकाली और अपनी सहेली चारूलता को साथ साथ चलने के लिए तैय्यार कर लेती है।
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    19 分
  • सिलसिला
    2021/12/15
    आख़िरकार शेखर तैय्यार होकर अपनी मोटरकार में सबको विक्टोरिया ले जाता है जहाँ सारे रास्ते नोंकझोंक चलती रहती है। चारूलता और अन्नाकाली ख़ूब मज़े लेकर शेखर से मज़ाक़ करते हैं। गोलगप्पे खाने के दौरान शेखर को तीखी मिर्ची की वजह से हिचकियाँ आने लगती हैं तो ललिता को रोना आ जाता है क्यूँकि वो शेखर दा को परेशान नहीं देख सकती है। ख़ैर, लाल कोठी लौटते ही ललिता के मामा गुरुचरण बाबू और मामी शुभो देवी से शेखर का पता चलता है कि एक लाख रुपए क़र्ज़े की रक़म के ऐवज में लाल कोठी महाजन के पास गिरवी रखी है। शेख़र उन्हें आश्वस्त करता है कि वो अपने बाबा नवीनचंद्र बाबू से कहकर उनकी मदद करने का भरसक प्रयास करेगा।
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    15 分
  • सौदेबाज़ी
    2021/12/15
    नवीनचंद्र बाबू को शेखर के ज़रिए पता चलता है कि गुरुचरण बाबू को रुपयों की सख़्त ज़रूरत है तो लाल कोठी हथियाने की उनकी हसरत को पंख लग जाते हैं। नवीनचंद्र बाबू एक लाख रुपए देते हुए अपना अहसान जताकर लाल कोठी के दस्तावेज़ बड़ी ही चालाकी से पाने क़ब्ज़े में कर लेते हैं। सीधे सादे गुरुचरण बाबू बड़े ही प्रसन्न होते हैं और शेखर को धन्यवाद देते हैं और नवीनचंद्र बाबू के प्रति एहसानमंद होते हैं। शेखर के प्रति ललिता भी आजीवन ऋणी महसूस करती है।
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    16 分
  • दिल ही दिल में
    2021/12/15
    शेखर और ललिता के बीच कुछ अनबन हो जाती है और उसकी वजह है कि गुरुचरण बाबू और नवीनचंद्र बाबू के बीच लेन देन की शर्तें जिससे शेखर अनभिज्ञ है सो ललिता उसे अवगत कराती है कि कैसे उसके बाबा ने उसके गुरुचरण मामा जी की लाल कोठी अपने पास गिरवी रख ली है। ललिता इस बात को अच्छी तरह जानती है कि इसमें शेखर का कोई दोष नहीं है सो वो शेखर को स्नेहपूर्वक खाना परोसती है और प्रेमपूर्वक उसके प्यानो पे नयी धुन सुनाने को कहती है। इधर गुरुचरण बाबू के दामाद की तबियत अचानक बिगड़ जाती है तो ललिता उनको सलाह देती है कि और पैसे वो नवीनचंद्र बाबू से बतौर क़र्ज़ माँगकर लाएगी जब लाल कोठी उनके पास गिरवी ही है।
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    17 分
  • क़र्ज़
    2021/12/15
    गहरी नींद से सो रहे शेखर को जगाने के प्रयास में ललिता को मज़ाक़ सूझता है और इसी क्रम में वो शेखर का सर दबाने लगती है और शेखर उसे अपने माँ समझकर उसकी गोद में सर रख देता है और अपनी ग़लती जानकार दोनों ही झेंप जाते हैं। माँ भुवनेश्वरी से ललिता को पता चलता है कि उसके गुरुचरण मामा को दिल का दौरा पड़ा है। शेखर भागकर अपने मोटरकार में उनको हॉस्पिटल ले जाता है। शेखर और उसके बाबा के बीच गुरुचरण बाबू के क़र्ज़े वाले पैसे रुपयों और तमाम शर्तों को लेकर नोकझोंक होती है। काफ़ी बहस और झगड़े के बाद शेखर पचास हज़ार रुपए लेकर ललिता के हवाले करता है। ग़ुस्से से तमतमाए शेखर को शांत करने के लिए ललिता प्यार से उसका माथा चूमती है और शेखर भी यही करता है लेकिन लज्जा से ललिता उसका हाथ छुड़ाकर भागती है।
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    18 分
  • जन्मदिन
    2021/12/15
    तक़रीबन एक हफ़्ते तक गुरुचरण बाबू का इलाज चलता रहता है और इस बीच शेखर भी दार्जिलिंग जाकर शनिवार रात घर लौटता है। इधर रविवार को सुबह सुबह चारूलता अपनी माँ यानी मनोरमा मासिमुनि के बर्थडे केक बनाने के लिए ललिता को request करती है। फिर ललिता को जैसे ही शेखर के लौट आने का पता चलता है वो भागकर शेखर से अपने प्यार का इज़हार करती है और उसे फ़्रेश होकर आने को कहती है। मनोरमा मासिमुनि उत्साहपूर्वक शेखर की माँ भुवनेश्वरी को भी अपने जन्मदिन का निमंत्रण देती हैं। शेखर की माँ शेखर को ख़ुश देखकर उसकी ख़ुशी का कारण जानना चाहती हैं तो वो बड़ी ही होशियारी से बात को टाल जाता है।
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    15 分
  • दिल का क्या क़सूर
    2021/12/15
    गुरुचरण बाबू और शुभो काकी दिल से शेखर के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। वहीं शेखर उनके प्रेम और स्नेह के प्रति अपनी कृतज्ञता ज़ाहिर करता है। ललिता से मिलकर शेखर उसके साथ साथ सीढ़ियों से उतर रहा होता है कि तभी ललिता का पाँव फिसल जाता है और उसे मोच आ जाती है। शेखर उसे अपनी गोद में उठाकर सीढ़ियों से होकर कमरे में लिटाता है। बरबस ही ललिता का प्यार जाग उठता है और शेखर भी ललिता के होंठ चूम लेता है और दोनों एक दूसरे के सीने से लिपट जाते हैं। शेखर को लोकलाज का अनुभव होता है और वो ललिता को अपने से अलग करते हुए उससे ब्याह करने का वचन देता है एक शर्त पर जिस दिन वो इस रिश्ते का सच माँ बाबा को बता देगा।
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  • ये दूरियाँ
    2021/12/15
    शेखर के कपड़ों पे ख़ून के धब्बे देखकर माँ भुवनेश्वरी घबरा जाती हैं लेकिन ललिता को लगी चोट जानकार शेखर की माँ और भी दुखी हो जाती हैं क्यूँकि ललिता से वो अपनी बेटी की तरह स्नेह रखती हैं।मनोरमा मासिमुनि का भाई गिरिंद्र विलायत से लौटकर सीधे अपनी बहन के जनमदिन पे लाल कोठी आ पहुँचता है। शेखर को मजबूरन गिरिंद्र की मदद करनी पड़ती है और जब वो ललिता से उसका हालचाल पूछता है तो ललिता उसे बताती है कि अन्नाकाली ने उसकी माँ को बता दिया है कि शेखर उसे गोद में उठाकर कमरे तक लाया था जिससे बड़ी माँ को बहुत बुरा लगा है। शेखर ललिता की बातों पे नाराज़ होकर वहाँ से चला जाता है और जाते जाते ललिता को गिरिंद्र से बातें करते देख जल भून जाता है।
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    17 分