エピソード

  • S2E27 | कौन मरता है ज़िंदगी के लिए - Sadat Nazeer
    2021/11/02
    आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    6 分
  • S2E26 | बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है - Irfan Siddiqi
    2021/10/26
    आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    7 分
  • S2E25 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad
    2021/10/19
    आज का ख्याल शायर आज़म बहज़ाद की कलम से । शायर कहते है -खराबी का कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल, कहा ज़ख्म खाये कहा से हुए वार यह भी दिखाना है मुश्किल। आज़म बेहज़ाद ने 1972 में कविता लिखना शुरू किया और सबसे लोकप्रिय समकालीन कवियों रूप में उभरे। उन्हें आलोचकों और जनता द्वारा समान रूप से सराहा गया था। उनके उपन्यास और रूपकों के लिए उनकी बहुत सराहना की गई थी। इसके अलावा, उन्हें जनता द्वारा उनके 'तरन्नुम' के लिए भी पसंद किया जाता था और अक्सर मुशायरों में इसके लिए अनुरोध किया जाता था। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    7 分
  • S2E24 | तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है - Nida Fazli
    2021/10/12
    आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे। वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    8 分
  • S2E23 | कुंज-ए-तन्हाई - Sabir Alvi
    2021/09/24
    आज का ख्याल शायर साबिर अल्वी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'कुंज-ए-तन्हाई के अफगार में क्या रखा है'। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    6 分
  • S2E22 | आए हो तो ये हिजाब क्या है - Mushafi Ghulam Hamdani
    2021/09/21
    आज का ख्याल शायर ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'आए हो तो ये हिजाब क्या है'। ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअत थे। ... यहाँ मीर, दर्द, सौदा और सोज़ जैसे शायर वृद्ध हो चले थे। इनका असर इनकी शाइरी पर पड़ा। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    7 分
  • SE21 | इतना मालूम है - Parveen Shakir
    2021/09/14
    आज का ख्याल शायर परवीन शाकिर की कलम से। शायर कहते है - 'अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़, सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा'। सैयदा परवीन शाकिर, एक उर्दू कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं। ... फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    8 分
  • S2E20 | उनसे बढ़ते फासले और मै = Tabish Mehdi
    2021/09/11
    आज का ख्याल शायर तबिश मेहदी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'उनसे बढ़ते फासले और मै'। तबिश मेहदी का जन्म 3 जुलाई 1951 को प्रतापगढ़ में हुआ था। कविता संग्रह पर उनकी पुस्तकें "ताबीर" और "सलसबील" हैं, जो क्रमशः 1998 और 2000 में प्रकाशित हुई हैं। इस एपिसोड में हमारे साथ एक मेहमान शायर भी है और उनका ख्याल है - 'मरना आसान लगने लगा'। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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    7 分