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पापा कहते हैं

पापा कहते हैं

著者: Sri Nath Arora
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このコンテンツについて

जनवादी हिंदी लेखन के मुख्य हस्ताक्षर श्री श्रीनाथ जी हिंदी लेखन में १९७६ से २०१५ तक सक्रिय रहे। जोंक, मुक्तिपर्व एवं उपसंहार उनके प्रकशित कहानी संग्रह में से हैं । यह पॉडकास्ट उनकी चुनिंदा लघु कथाओं का ऑडियो रूपांतर है । बीस तीस साल पहले लिखी गयीं ये कथाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, क्योंकि बीस तीस साल बाद भी न हमारा समाज बदला न हम।All rights reserved. アート 戯曲・演劇 文学史・文学批評
エピソード
  • अर्थ-अनर्थ
    2020/10/25

    क्या एक शब्द गिरगिट की तरह अलग अलग परिस्थियों में कैसे अपने मतलब बदलता है ?

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    3 分
  • कारण और सम्बन्ध
    2020/10/25

    एक शहर में एकाएक अपराध गायब हो गए , जनता हैरान और कारण जो आप सोच नहीं सकते ।

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    3 分

पापा कहते हैंに寄せられたリスナーの声

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