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एकादशोपनिषद प्रसाद श्रृंखला का परिचय

एकादशोपनिषद प्रसाद श्रृंखला का परिचय

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"सर्वं खल्विदं ब्रह्म" — "यह सम्पूर्ण जगत ब्रह्म है।"छान्दोग्य उपनिषद का यह वाक्य केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि वह आध्यात्मिक सत्य है जो हमारे अस्तित्व की गहराई को छूता है। इसी सत्य से आरंभ होती है हमारी एकादशोपनिषद प्रसाद यात्रा।एकादशोपनिषद प्रसाद एक अनोखी श्रृंखला है, जो 11 प्रमुख और प्राचीन उपनिषदों के दिव्य ज्ञान को आधुनिक श्रोताओं के लिए सरल, स्पष्ट और जीवन-प्रासंगिक तरीके से प्रस्तुत करती है। इन उपनिषदों में ब्रह्म, आत्मा, सृष्टि, कर्म, मोक्ष और आनंद जैसे जीवन के सबसे गहरे रहस्यों के उत्तर समाए हैं। सदियों से यह ज्ञान ऋषियों की वाणी में, शास्त्रों के पन्नों पर, और साधकों के ध्यान में संरक्षित रहा है। अब इसे "प्रसाद" के रूप में आपके हृदय तक पहुँचाना ही इस श्रृंखला का उद्देश्य है।इस पहले एपिसोड "श्रृंखला का परिचय" में लेखक व प्रस्तुतकर्ता रमेश चौहान श्रोताओं को बताते हैं कि यह श्रृंखला क्यों और कैसे बनी। वे समझाते हैं कि उपनिषद केवल संस्कृत के विद्वानों या आध्यात्मिक पंडितों के लिए नहीं हैं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए हैं जो जीवन का गूढ़ अर्थ और अपना वास्तविक स्वरूप जानना चाहता है।एपिसोड में 11 उपनिषदों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है—ईशावास्योपनिषद — संसार में रहकर भी त्याग और समर्पण की साधना।केनोपनिषद — "किसके द्वारा?" का उत्तर, जो हमें ब्रह्म-आत्मा के अद्वैत तक ले जाता है।काठकोपनिषद — यम और नचिकेता का संवाद, मृत्यु और अमरता का रहस्य।प्रश्नोपनिषद — छह महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से सृष्टि और प्राण का विज्ञान।मुण्डकोपनिषद — दो प्रकार का ज्ञान—अपरा (संसारिक) और परा (आध्यात्मिक)।माण्डूक्योपनिषद — ओंकार के चार आयाम और तुरीय अवस्था की पहचान।तैत्तिरीयोपनिषद — पाँच कोशों के माध्यम से आनंद की खोज।ऐतरेयोपनिषद — सृष्टि का उद्गम और ब्रह्म से आत्मा का संबंध।श्वेताश्वतरोपनिषद — भक्ति और ज्ञान का संतुलन।छान्दोग्योपनिषद — उपासना और आत्मज्ञान का समन्वय, "तत्त्वमसि" का संदेश।बृहदारण्यकोपनिषद — आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष का व्यापक विवेचन।रमेश चौहान बताते हैं कि इस श्रृंखला की सबसे बड़ी विशेषता है —सरल और प्रवाहमय भाषा — जटिल शास्त्रीय श्लोक भी रोज़मर्रा की हिंदी में।आधुनिक संदर्भ — उपनिषद ...
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