• इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

  • 著者: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

著者: Lokesh Gulyani
  • サマリー

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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あらすじ・解説

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
Copyright Lokesh Gulyani
エピソード
  • Episode 35 - पितृ दोष
    2025/03/23
    उसे भूख लगी है। उसकी मां ने रख छोड़ा है, अखबारी पन्ने में लिपटा ब्रेड पकोड़ा। उस ब्रेड पकोड़े पर नज़र है, सामने वाले घर के छज्जे पर बैठे कव्वे की। कव्वे का मानना है कि यदि वो ये ब्रेड पकोड़ा खा लेगा तो बच्चे का पितृ दोष दूर हो जाएगा।
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    4 分
  • Episode 34 - मेरी मैं-मैं, मैं जानूं
    2025/03/11
    मैं जीवन में अर्थ ढूंढते ढूंढते थक गया हूं। अब ऐसी स्थिति आ चुकी है कि ज़िंदगी के मायने ढूंढना और मतलबी होना, एक दूजे के समानांतर लगने लगा है।
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    4 分
  • Episode 33 - Solo Traveler
    2025/03/03
    मुझे काफ़ी हद तक ये बात सही लगती है कि जीवन खेद के साथ ख़त्म करने वाली यात्रा तो बिल्कुल नहीं है। अगर गौर से देखा जाए तो आनंद एक अवस्था है, जो भीतर से फूटती है। एक कस्तूरी है खुद में, जिसका हमें संभवतः ज्ञान नहीं।
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    4 分

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